Kulshreshtha, Mohit

Kathakar Deepti Kulshreshtha Samvedna Aur Samanubhooti Ki Perokaar कथाकार दीप्ति कुलश्रेष्‍ठ सेवेदना और समानुभुति की पैरोकार - 2024 - Jodhpur Royal Publication - 360p; 23 cm.

दीप्ति कुलश्रेष्‍ठ की रचना संसार: परिमल, सुधि की दीप मुठीभर रोशनी , परिणति, किससे करें फरियाद, धुंध अेार धुंआं, सफ़र के बीच, बर्फ की झील, खिड़की से झांकता है चॉंद, काश, नौकरीनामा, भीतर कहीं कुछ है जो।

978-81-19645-48-0 800.00


कहानी एवं उपन्‍यास

891.430 / KUL-KA